Editor in Chief: Rajesh Patel (Aapka news Star)
Itarsi, Nov11, 2024
पचमढ़ी में लखपति बन रही लाड़ली दीदी, रेशम की खेती से कमाए 11 लाख
Itarsi MP News: महिलाओं ने अक्टूबर तक 1600 किलोग्राम धागा निर्माण कर 11.62 लाख रुपए की आय अर्जित की।
MP News: मध्यप्रदेश में गोल्डन सिल्क को लेकर भी नर्मदापुरम की एक अलग पहचान बन गई है। सबसे मंहगा गोल्डन सिल्क असम के बाद सिर्फ पचमढ़ी में पैदा हो रहा है। इसके अलावा मलबरी, टसर और ईरी किस्म के रेशम का उत्पादन भी जिले में हो रहा है। इससे जिले की दो धागा इकाईयों दर्जनों महिलाओं को रोजगार मिल गया है। रेशम उत्पादन से जिले की 200 महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा गया है
जानकारी के मुताबिक पचमढ़ी की जलवायु में असम में पैदा होने वाला रेशम पनप गया। इसके बाद विभाग ने सबसे महंगे मूंगा रेशम को दस हेक्टेयर में लगाया और कृमि बीज उत्पादन को समझने के लिए असम से वैज्ञानिकों को बुलाकर कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया।
इससे 30 हजार मूंगा के ककून उत्पादित हुए। इसके अलावा जिले में बनखेड़ी, गूर्जरबाड़ा में मलबरी, ईरी रेशम को उत्पदान से किसानों को जोड़ा जा रहा है। दो धागा इकाईयों में 32 महिलाओं को रोजगार दिया गया है।
इन महिलाओं ने अक्टूबर तक 1600 किलोग्राम धागा निर्माण कर 11.62 लाख रुपए की आय अर्जित की। विभाग के मुताबिक रेशम धागा ट्विस्टिंग शुरू कर 07 महिलाओं को रोजगार देकर 832.100 किलोग्राम धागा बनाकर 5 लाख रुपए की मजदूरी का भुगतान किया गया है। रेशम उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार होने के कारण पचमढी ,मालाखेड़ी स्थित प्राकृत शोरूम से अभी तक 34.36 लाख के रेशम वस्त्रों का विक्रय किया गया है। बीते वर्ष शोरूम से 19.40 लाख रुपए के रेशमी वस्त्रों को विक्रय हुआ था।
जिले में मूंगा के अलावा टसर रेशम का उत्पादन भी बढ़ा दिया गया है। रेशम इकाईयों में अक्टूबर तक टसर के कृमि के 25 हजार समूह को पालन किया था। इससे दो लाख ककून बनाकर तैयार हुए हैं। दूसरे चरण में 30 हजार समूह से कृमिपालन हो रहा है। कोलाकात के कारीगरों द्वारा महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
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