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Co-operative Bank: घोटालों पर अंकुश नहीं, छतरपुर जिला सहकारी बैंक 100 करोड़ के घाटे में, बंद करने की तैयारी

Editor in Chief: Rajesh Patel (Aapka news Star) 

छतरपुर, Nov 09, 2024


घोटालों पर अंकुश नहीं, छतरपुर जिला सहकारी बैंक 100 करोड़ के घाटे में, बंद करने की तैयारी

Co-operative Bank: आर्थिक संकट के कारण, राज्य के विभिन्न अन्य जिलों सागर, रीवा, सतना, ग्वालियर, भिंड, मुरैना, गुना, दतिया, शिवपुरी और जबलपुर के सहकारी बैंकों की स्थिति भी खराब है, और इन्हें बंद करने पर विचार किया जा रहा है।

छतरपुर:  छतरपुर सहित प्रदेश के 11 जिला सहकारी बैंक लंबे समय से घाटे में चल रहे हैं, जिससे इन बैंकों को बंद करने की नौबत आ गई है। छतरपुर का जिला सहकारी बैंक लगभग 100 करोड़ रुपए के घाटे में है। आर्थिक संकट के कारण, राज्य के विभिन्न अन्य जिलों सागर, रीवा, सतना, ग्वालियर, भिंड, मुरैना, गुना, दतिया, शिवपुरी और जबलपुर के सहकारी बैंकों की स्थिति भी खराब है, और इन्हें बंद करने पर विचार किया जा रहा है। सहकारी समितियों में बड़ेबड़े घोटालों पर अंकुश नहीं लग पाने से जिला सहकारी बैंक दिवालिया हो रहे हैं। छतरपुर का जिला सहकारी बैंक 100 करोड़ रुपए के घाटे में चल रहा है।


नाबार्ड मुख्यालय मुंबई ने प्रदेश के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक सीधी की आर्थिक हालत चिंताजनक है। वित्तीय स्थिति में सुधार के उपाय शुरू नहीं होते तो भारतीय रिजर्व बैंक को लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश की जा सकती है। पत्र की जानकारी वित्त विभाग ने एसीएस सहकारिता विभाग को दी है। नाबार्ड ने वित्त विभाग को भेज पत्र में लिखा है कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित सीधी 546.96 रुपए करोड़ के घाटे में है। वहीं, शिवपुरी बैंक में 2 साल पहले 100 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ था। यहां पर पदस्थ एक चपरासी ने कैशियर की भूमिका निभाते हुए 100 करोड़ रुपए के घोटाले को अंजाम दिया। इस घोटाले की अभी जांच चल रही है और कुछ लोगों की गिरफ्तारी हुई है।


नाबार्ड ने सहकारी बैंकों की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं होने पर रिजर्व बैंक से ऐसे बैंकों के लाइसेंस निरस्त करने की सिफारिश करने की चेतावनी दी है। इस पर अपेक्स बैंक ने सरकार को अंश पूंजी के नाम पर एक हजार करोड़ और उपार्जन के बकाया 600 करोड़ रुपए की डिमांड भेजी है। राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में सहकारी बैंकों को घाटे से उबारने के लिए एक हजार करोड़ रुपए की अंश पूंजी देने का प्रावधान किया है, लेकिन यह राशि सात माह बाद भी नहीं मिली है। इसलिए अब अपेक्स बैंक ने शासन को डिमांड प्रस्ताव भेजा है।


पिछले 15 वर्षों से सहकारिता विभाग इन सहकारी बैंकों की स्थिति सुधारने का प्रयास कर रहा है, लेकिन घोटालों और वित्तीय अनुशासन की कमी के कारण यह प्रयास सफल नहीं हो पाए हैं। बैंक में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के मामलों ने सहकारी क्षेत्र में विश्वसनीयता को क्षति पहुंचाई है।


नाबार्ड ने घाटे में चल रहे बैंकों का लाइसेंस निरस्त करने रिजर्व बैंक को पत्र लिखा है। सरकार ने इस साल एक हजार करोड़ देने का प्रावधान किया है। राशि के लिए प्रपोजल शासन को भेजा गया है।

मनोज कुमार गुप्ता, महाप्रबंधक, अपेक्स बैंक


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